गर्भावस्था में योग – भाग 2: स्वास्थ्य देखभाल और योग का महत्व
गर्भावस्था के दौरान योग का अभ्यास माँ और बच्चे के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह न केवल गर्भधारण से प्रसव तक होने वाली चुनौतियों को कम करता है, बल्कि स्वस्थ और संस्कारी संतान के निर्माण में भी सहायक होता है। जानें, गर्भावस्था के दौरान योग के लाभ, सुरक्षित योगासन, प्राणायाम और आहार संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव।
WOMEN'S HEALTHPREGNANCY WELLNESS
KD Singh
3/16/20251 min read


गर्भावस्था में स्वास्थ्य देखभाल क्यों ज़रूरी है?
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इस समय उचित पोषण, व्यायाम और मानसिक शांति बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। गर्भावस्था में अच्छी देखभाल से माँ और बच्चे दोनों को कई गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है, जैसे:
✔ मोटापे की रोकथाम – गर्भावस्था के दौरान असंतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों की कमी से वजन अधिक बढ़ सकता है, जो कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
✔ हृदय रोग और मधुमेह से बचाव – गर्भावस्था में अनियमित जीवनशैली और गलत खानपान से गर्भावस्था मधुमेह (Gestational Diabetes) और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
✔ कुपोषण और पोषण की कमी – गर्भावस्था में पोषण का अभाव माँ और बच्चे के विकास को प्रभावित करता है। सही पोषण से आयरन, कैल्शियम और अन्य आवश्यक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है।
✔ तनाव और मानसिक असंतुलन से बचाव – गर्भावस्था में मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या और चिंता होना आम बात है, लेकिन ध्यान और योग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
गर्भावस्था में योग का महत्व
योग गर्भावस्था के दौरान एक प्रभावी साधन है, जो माँ और बच्चे दोनों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। इसके अभ्यास से शारीरिक दर्द, मानसिक तनाव और प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था में योग के लाभ:
✅ तनाव और चिंता को कम करता है – योग और ध्यान करने से गर्भवती महिलाओं में तनाव हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
✅ शरीर को लचीला बनाता है – योग के अभ्यास से शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और प्रसव के समय शरीर अधिक लचीला बना रहता है, जिससे प्रसव पीड़ा कम होती है।
✅ रक्त संचार बेहतर होता है – योग करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का संचार बेहतर होता है, जिससे माँ और शिशु दोनों को फायदा होता है।
✅ श्वसन प्रक्रिया को सुधारता है – गर्भावस्था में प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, जिससे शिशु को अधिक ऑक्सीजन मिलती है और वह स्वस्थ रूप से विकसित होता है।
✅ प्रसव को आसान बनाता है – नियमित योग करने से पेल्विक मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे प्रसव के दौरान दर्द और जटिलताएँ कम होती हैं।
गर्भावस्था में योग अभ्यास के लिए आवश्यक सावधानियाँ
✔ डॉक्टर से सलाह लें – योग अभ्यास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।
✔ तीसरी तिमाही में कठिन योगासन न करें – गर्भावस्था के अंतिम महीनों में कठिन योगासन और भारी व्यायाम से बचना चाहिए।
✔ झटके या अधिक खिंचाव वाले योग न करें – शरीर पर अधिक दबाव डालने वाले योगासन जैसे उत्कटासन, हलासन, धनुरासन आदि न करें।
✔ आसन करते समय सहारा लें – कुछ योगासन करते समय दीवार या कुर्सी का सहारा लेना सुरक्षित होता है।
✔ शरीर की सीमा को समझें – योगाभ्यास के दौरान शरीर की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए ही योग करें और जरूरत से ज्यादा जोर न लगाएँ।
गर्भावस्था में योग के दौरान करने योग्य और वर्जित योगासन
✅ योगासन जो करने चाहिए:
ताड़ासन (Tadasana) – रीढ़ की हड्डी को सीधा और लचीला बनाए रखता है।
सुखासन (Sukhasana) – ध्यान और श्वसन को बेहतर बनाता है।
मार्जारीआसन (Marjariasana) – पीठ दर्द से राहत देता है और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
बद्धकोणासन (Badhakonasana) – पेल्विक क्षेत्र को मजबूत बनाता है।
वज्रासन (Vajrasana) – पाचन को दुरुस्त करता है।
❌ योगासन जो करने से बचना चाहिए:
✖ हलासन (Halasana)
✖ धनुरासन (Dhanurasana)
✖ उष्ट्रासन (Ustrasana)
✖ उत्कटासन (Utkatasana)
✖ किसी भी प्रकार के इनवर्टेड योगासन (जैसे शीर्षासन)
भूमिका
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से उसे प्रभावित करते हैं। इस समय उचित स्वास्थ्य देखभाल और योग का अभ्यास न केवल माँ बल्कि होने वाले शिशु के लिए भी फायदेमंद होता है। योग और सही आहार से गर्भावस्था में आने वाली जटिलताओं को कम किया जा सकता है और प्रसव को आसान बनाया जा सकता है।
इस भाग में हम जानेंगे कि गर्भावस्था में स्वास्थ्य देखभाल और योग अभ्यास क्यों आवश्यक है, इसके लाभ, और किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान सही स्वास्थ्य देखभाल और योग का अभ्यास माँ और बच्चे के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। नियमित योग और ध्यान से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखा जा सकता है, जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताएँ कम होती हैं।
यदि आप गर्भावस्था में योग का अभ्यास शुरू करना चाहती हैं, तो किसी विशेषज्ञ योग शिक्षक की देखरेख में करें और अपने शरीर की क्षमता को ध्यान में रखते हुए योगाभ्यास करें। सही आहार, अच्छी जीवनशैली और सकारात्मक मानसिकता के साथ योग अपनाने से आप एक स्वस्थ और सुखद गर्भावस्था का आनंद ले सकती हैं।
अगला भाग:
अगले भाग में हम विस्तार से जानेंगे कि गर्भावस्था में प्राणायाम, ध्यान और सात्विक जीवनशैली का क्या महत्व है। साथ ही, हम आपको एक विस्तृत प्रेगनेंसी योग चार्ट भी प्रदान करेंगे। बने रहिए हमारे साथ!
क्या आप गर्भावस्था में योग अभ्यास कर रही हैं? अपने अनुभव हमें कमेंट में बताएँ! 😊
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