गर्भावस्था में योग – भाग 4: प्रसव की तैयारी और अंतिम तिमाही के योगासन

गर्भावस्था के दौरान योग का अभ्यास माँ और बच्चे के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह न केवल गर्भधारण से प्रसव तक होने वाली चुनौतियों को कम करता है, बल्कि स्वस्थ और संस्कारी संतान के निर्माण में भी सहायक होता है। जानें, गर्भावस्था के दौरान योग के लाभ, सुरक्षित योगासन, प्राणायाम और आहार संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव।

WOMEN'S HEALTHPREGNANCY WELLNESS

3/16/20251 min read

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गर्भावस्था में योग – भाग 4: प्रसव की तैयारी और अंतिम तिमाही के योगासन

भूमिका

गर्भावस्था का अंतिम चरण शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे अधिक संवेदनशील होता है। इस दौरान गर्भवती महिला को विशेष देखभाल और तैयारी की आवश्यकता होती है ताकि प्रसव सुगम और कम पीड़ादायक हो। इस लेख में हम जानेंगे कि अंतिम तिमाही में कौन-कौन से योगासन करने चाहिए, प्रसव की तैयारी कैसे करनी चाहिए, और किन सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।

अंतिम तिमाही (7वें, 8वें और 9वें महीने) में शरीर में होने वाले बदलाव

✔ शिशु का तेजी से विकास – इस दौरान बच्चे का आकार बढ़ता है और वह सिर नीचे की ओर करने लगता है।
✔ शरीर में सूजन और भारीपन – बढ़ते वजन के कारण पैरों और शरीर में सूजन आ सकती है।
✔ सांस लेने में कठिनाई – गर्भाशय का आकार बढ़ने से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है।
✔ कमर और पीठ दर्द – पेट का भार बढ़ने से रीढ़ की हड्डी और कमर पर दबाव बढ़ता है।
✔ नींद की समस्या – गर्भावस्था के अंतिम महीनों में आरामदायक स्थिति में सोना कठिन हो जाता है।

इस दौरान सही योगासन, ध्यान और श्वसन अभ्यास से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है और प्रसव की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।

गर्भावस्था के अंतिम महीनों में करने योग्य योगासन

1. प्रसव को आसान बनाने वाले योगासन

ये योगासन पेल्विक क्षेत्र को लचीला बनाते हैं और डिलीवरी के लिए शरीर को तैयार करते हैं।

मलासन (Malasana - Garland Pose)
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए यह सबसे प्रभावी योगासन है।
👉 कैसे करें:
  • दोनों पैरों को फैला कर बैठें।

  • हाथों को नमस्कार मुद्रा में रखें और कोहनियों से घुटनों को बाहर की ओर हल्के से दबाएँ।

तितली आसन (Titli Asana - Butterfly Pose)
यह आसन नितंबों और जांघों को लचीला बनाता है।
👉 कैसे करें:
  • जमीन पर बैठकर पैरों को मोड़ें और दोनों तलवों को आपस में मिलाएँ।

  • हाथों से पैरों को पकड़ें और धीरे-धीरे घुटनों को ऊपर-नीचे करें।

ताड़ासन (Tadasana - Mountain Pose)
रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और शरीर को संतुलित करता है।
👉 कैसे करें:
  • सीधे खड़े हों और हाथों को ऊपर उठाएँ।

  • गहरी सांस लें और धीरे-धीरे शरीर को लंबा करें।

मार्जरी आसन (Marjariasana - Cat-Cow Pose)
पीठ दर्द को कम करने के लिए यह बहुत ही प्रभावी योगासन है।
👉 कैसे करें:
  • घुटनों और हाथों के बल आकर पोज़ बनाएं।

  • सांस भरते हुए पीठ को नीचे करें और सिर को ऊपर उठाएँ।

  • सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर करें और ठोड़ी को छाती से लगाएँ।

बद्धकोणासन (Baddha Konasana - Butterfly Pose)
यह आसन पेल्विस को खोलने में मदद करता है और डिलीवरी को आसान बनाता है।
👉 कैसे करें:
  • दोनों पैरों को जोड़कर बैठें और घुटनों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करें।

  • धीरे-धीरे साँस लें और छोड़ें।

2. प्रसव की तैयारी के लिए प्राणायाम

गर्भावस्था के अंतिम महीनों में श्वसन पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह प्रसव के समय दर्द को कम करने में सहायक होता है।

✅ उज्जायी प्राणायाम – गहरी श्वास लेकर शरीर को रिलैक्स करने में मदद करता है।
✅ अनुलोम-विलोम प्राणायाम – रक्त संचार को बढ़ाता है और मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
✅ भ्रामरी प्राणायाम – तनाव और चिंता को कम करता है।
✅ दीर्घ श्वसन (Deep Breathing) – प्रसव के दौरान दर्द को कम करने में मदद करता है।

👉 कैसे करें:

  • आरामदायक स्थिति में बैठें और धीरे-धीरे गहरी सांस लें।

  • नाक से सांस अंदर लें और धीरे-धीरे मुंह से छोड़ें।

3. प्रसव की तैयारी के लिए ध्यान (Meditation)

ध्यान करने से मन शांत रहता है और प्रसव का डर कम होता है। यह शरीर को दर्द सहने की शक्ति देता है और प्रसव को आसान बनाता है।

सर्वश्रेष्ठ ध्यान तकनीकें:

✔ मंत्र ध्यान (Om Chanting) – मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
✔ गर्भ संवाद ध्यान (Womb Connection Meditation) – माँ और शिशु के बीच संबंध को गहरा करता है।
✔ गहरी श्वसन ध्यान (Deep Breathing Meditation) – प्रसव के दौरान मदद करता है।
✔ सकारात्मक कल्पना ध्यान (Positive Visualization Meditation) – आसान और सुरक्षित प्रसव की कल्पना करके आत्मविश्वास बढ़ाता है।

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4. अंतिम तिमाही में पालन करने योग्य सात्विक जीवनशैली

अंतिम तिमाही में गर्भवती महिला को अपने आहार और दिनचर्या का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

खाने योग्य चीज़ें:

✅ आयरन और कैल्शियम युक्त भोजन – हरी सब्जियाँ, सूखे मेवे, दूध और पनीर।
✅ प्रोटीन युक्त आहार – दालें, छाछ, फल और नट्स।
✅ हाइड्रेशन – दिनभर में 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए।
✅ फाइबर युक्त भोजन – कब्ज़ की समस्या से बचने के लिए साबुत अनाज और ताजे फल खाएँ।

न खाने योग्य चीज़ें:

✖ बहुत अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन।
✖ कैफीन और कोल्ड ड्रिंक्स।
✖ अधिक चीनी और प्रोसेस्ड फूड।

5. अंतिम तिमाही में ध्यान देने योग्य बातें

⚠ अत्यधिक मेहनत से बचें।
⚠ जोर-जबरदस्ती कोई भी योगासन न करें।
⚠ रोजाना टहलें, लेकिन धीरे-धीरे।
⚠ ज्यादा देर तक एक ही स्थिति में न बैठें या खड़े न रहें।
⚠ अधिक आराम करें और सकारात्मक रहें।

निष्कर्ष

गर्भावस्था का अंतिम चरण माँ और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। सही योगासन, प्राणायाम, ध्यान और संतुलित आहार अपनाकर प्रसव को आसान बनाया जा सकता है। यदि गर्भवती महिला नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करती है, तो प्रसव के दौरान दर्द कम होगा और डिलीवरी आसान होगी।

अगला भाग:

अगले भाग में हम जानेंगे कि प्रसव के बाद योग और देखभाल कैसे करें ताकि माँ जल्दी से स्वस्थ हो सके और शिशु का विकास बेहतर हो।

👉 क्या आप गर्भावस्था के अंतिम महीनों में योग और ध्यान का अभ्यास कर रही हैं? अपने अनुभव हमें कमेंट में बताएँ! 😊